बिश्रामपुर। नगर पंचायत शिवनंदनपुर के गठन को लेकर पिछले दिनों दावा आपत्ति हेतु जारी किए गए अधिसूचना पर शंभू शक्ति सेना और आदिवासी समाज ने अपनी आपत्ति दर्ज कराते हुए उक्त गठन पर रोक लगाए जाने की मांग की है। गौरतलब है कि ग्राम पंचायत शिवनंदनपुर को नगर पंचायत बनाए जाने की मांग क्षेत्रवासियों द्वारा लंबे अरसे से की जा रही थी। क्षेत्रवासियों की मांग पर पूर्ववर्ती भूपेश सरकार द्वारा विधानसभा चुनाव के आचार संहिता लागू होने से कुछ दिनों पूर्व छग शासन नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग मंत्रालय, महानदी भवन नवा रायपुर के संयुक्त सचिव पीएस ध्रुव ने पूर्व में 9 अक्टूबर 2023 को कलेक्टर सूरजपुर को पत्र प्रेषित कर उक्ताशय की जानकारी दी थी। जारी पत्र में छग नगर पालिका अधिनियम 1961 की धारा 5 में वर्णित प्रावधानों के तहत ग्राम पंचायत शिवनंदनपुर को नगर पंचायत गठन किए किए जाने हेतु 4 अक्टूबर को अधिसूचना का प्रारंभिक प्रकाशन किए जाने का उल्लेख किया था। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार शिवनंदनपुर पंचायत की आबादी 6567 बताई गई थी, वहीं 5050 मतदाता बताए गए थे। जारी अधिसूचना में ग्राम पंचायत शिवनंदनपुर की सीमाएं ही नगर पंचायत की सीमाएं होने की बात कही गई थी। इसी बीच विधानसभा चुनाव का आचार संहिता लागू होने की वजह से अधिसूचना का सार्वजनिक अधिसूचना जारी नहीं हो सकी थी। विधानसभा चुनाव उपरांत एक बार पुनः शिवनंदनपुर को नगर पंचायत के रूप गठन किए जाने की चर्चा ने उस समय जोर पकड़ लिया जब जिला प्रशासन द्वारा करीब पखवाड़े भर पूर्व सार्वजनिक अधिसूचना जारी करके दावा आपत्ति 21 दिनों के भीतर आमंत्रित किया गया था। सार्वजनिक अधिसूचना जारी होने उपरांत सोमवार 8 जुलाई को शंभू शक्ति सेना और आदिवासी समाज ने कलेक्टर के पास जाकर अपनी आपत्ति दर्ज करा दी है। आपत्ति में शंभू शक्ति सेना के प्रदेशाध्यक्ष राकेश सांडिल ने अपने पत्र में संविधान के अनुच्छेद 244 और पांचवीं अनुसूची का हवाला देते हुए नगर पंचायत के गठन को असंवैधानिक करार दिया है। उन्होंने बताया कि अनुसूचित क्षेत्रों में नगर पंचायत बनाने से आदिवासी समुदाय के संवैधानिक अधिकारों का हनन होगा। पेसा अधिनियम 1996 और वन अधिकार अधिनियम 2006 के तहत ग्राम सभा को जो अधिकार प्राप्त हैं, वे समाप्त हो जाएंगे। साथ ही ग्रामीणों को मिलने वाली रोजगार गारंटी योजना और विकास योजनाओं के लाभ से वंचित होना पड़ेगा। शंभू शक्ती सेना ने महामहिम राज्यपाल, मुख्यमंत्री, अनुसूचित जनजाति मंत्री, मुख्य सचिव और अन्य उच्च अधिकारियों को प्रेषित संबंधित पत्र में नगर पंचायत के गठन पर तुरंत रोक लगाने की मांग की है। राकेश सांडिल का कहना है कि इस प्रक्रिया से आदिवासी समाज के प्रतिनिधित्व में कमी आएगी और उन पर आर्थिक बोझ बढ़ेगा। उन्होंने बताया कि संविधान के अनुच्छेद 243 के तहत अनुसूचित क्षेत्रों में म्यूनिसिपल का विस्तार संसद द्वारा विधेयक पारित किए बिना नहीं किया जा सकता है। यहां नगर पंचायत बनने से आदिवासी समाज के ग्राम पंचायत चेयरपर्सन, ग्राम सभा अध्यक्ष, सरपंच और पंच जैसे आरक्षित पद समाप्त हो जाएंगे।उन्होंने उच्च अधिकारियों से आग्रह किया है कि वे संविधान का पालन करते हुए नगर पंचायत बनाने की प्रक्रिया पर रोक लगाएं और आदिवासी समाज के हक और अधिकारों को सुरक्षित रखें। ज्ञात हो कि शिवनंदनपुर नपं गठन की सुगबुगाहट शुरू होते ही दावेदारों ने अपनी राजनीतिक रोटी सेंकने की तैयारी शुरू कर दी है। अब यहां देखना होगा कि शंभू शक्ति सेना व आदिवासी समाज द्वारा दर्ज कराए गए आपत्ति उपरांत जिला प्रशासन इसका किस आधार पर निराकरण करके शिवनंदनपुर ग्राम पंचायत को नगर पंचायत का दर्जा दिलाए जाने की प्रक्रिया पूर्ण करा पाती है।

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