सूरजपुर। शैक्षणिक सत्र से छत्तीसगढ़ राज्य के समस्त शासकीय एवं अशासकीय महाविद्यालयों में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 लागू कर दिया गया है। जिसके तहत जिले के मास्टर ट्रेनर्स टी.आर राहंगडाले, अजय कुमार तिवारी, शशिशेखर एवं डॉ विनोद कुमार साहू के द्वारा अग्रणी महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. एच.एन. दुबे के निर्देशन में समस्त महाविद्यालयों में 2 से 06 जुलाई तक प्रशिक्षण सह-संवेदीकरण कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस शिक्षा नीति में 03 या 04 वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम होगा जो कि क्रेडिट सिस्टम पर आधारित होगा। यह पाठ्यक्रम पूर्णतः सेमेस्टर परीक्षा पर आधारित होगा। इस प्रकार तीन वर्ष के लिए 6 सेमेस्टर तथा 4 वर्ष के लिए 8 सेमेस्टर का पाठ्यक्रम होगा, पाठ्यक्रम की अवधि में बहु प्रवेश एवं बहु निकास का प्रावधान होगा। जिसके अन्तर्गत प्रथम वर्ष पूर्ण करने के पश्चात कोई विद्यार्थी किसी कारणवश अपनी पढ़ाई छोड़ता है तो उसे अतिरिक्त चार क्रेडिट ऑनलाईन माध्यम से अर्जित करने पर सर्टिफिकेट तथा दो वर्ष पश्चात पढ़ाई छोड़ने पर डिप्लोमा, तीन वर्ष पश्चात डिग्री तथा चार वर्ष पूर्ण करने पर ऑनर्स की डिग्री प्रदान की जावेगी। जिन विद्यार्थियों का सीजीपीए 7.5 से अधिक होगा उन्हे ऑनर्स के साथ रिसर्च की डिग्री प्रदान की जावेगी। इस प्रकार इस शिक्षा नीति में विद्याथियों कों गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, कौशल विकास, मूल्य परख तथा रोजगारोन्मुखी शिक्षा के माध्यम से सर्वांगिण विकास के लक्ष्य को पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है। यह शिक्षा नीति बहुविषयक प्रणाली पर आधारित है। जिसमें विद्यार्थियों को अपनी इच्छानुसार दूसरे संकाय के विषय चुनने की आजादी है। कला संकाय के विद्यार्थी स्वेच्छा से विज्ञान अथवा वाणिज्य संकाय का एक विषय जेनरिक इलेक्टिव के रूप में अध्ययन कर सकेगा। इसी प्रकार विज्ञान संकाय का विद्यार्थी कला अथवा वाणिज्य संकाय से तथा वाणिज्य संकाय का विद्यार्थी विज्ञान या कला संकाय का एक विषय अध्ययन कर सकेगा। इस शिक्षा नीति में विद्यार्थियों का मूल्याकन 30 प्रतिशत सत्त आतरिक मूल्याकंन एवं 70 प्रतिशत अंक सेमेस्टर ‘परीक्षा पर आधारित होगा। इन दोनों मूल्याकंन के अंको के जोड के 40 प्रतिशत अंक प्राप्त करने पर विद्यार्थी को उत्तीर्ण घोषित किया जायेगा। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को सुचारू रूप से लागू करने के लिए उच्च शिक्षा विभाग द्वारा राज्य के सभी शासकीय एवं अशासकीय महाविद्यालयों के प्राध्यापकों को इसके विभिन्न पहलुओं को समझाने के लिए प्रत्येक जिले से मास्टर ट्रेनर्स की नियुक्ति की गई है। इसके तहत् जिले के मास्टर ट्रेनर्स द्वारा समस्त महाविद्यालयों में जाकर प्रशिक्षण सह-संवेदीकरण कार्यक्रम आयोजित किया गया।