टीसी लेने के बाद अन्य स्कूलों में दाखिला दिलाने भटक रहे थे अभिभावक
अंबिकापुर। बच्चे शिक्षा की धारा से दूर न रहें, इसके लिए सरकार ने तमाम योजनाएं बनाई हैं, वहीं अंबिकापुर ब्लॉक के कई ग्रामों में बच्चों को टीसी लेने के बाद मनचाहे स्कूल में दाखिला नहीं मिल पाने जैसी शिकायतें सामने आ रही थी। इसके पीछे कारण ब्लॉक शिक्षा विभाग से जारी एक फरमान बताया जा रहा है। आदेश को आड़े लेकर प्राथमिक स्कूल में शिक्षा ग्रहण करने के बाद बच्चों को टीसी नहीं दी जा रही है, सीधे मिडिल, हाईस्कूल में इनका टीस जमा करवा दिया जा रहा है। अगर कोई विद्यार्थी ऐन-केन-प्रकारण स्थानांतरण प्रमाण पत्र ले भी लिया तो उसे मनचाहे शासकीय स्कूल में दाखिला नहीं मिल रहा था। हालांकि आदेश जारी करने के पीछे ब्लाक शिक्षा अधिकारी की मंशा टीसी लेने के बाद संबंधित बच्चों के शालात्यागी बनने से रोकने की है, क्योंकि स्कूल त्यागने के बाद कई बार बच्चे गांव, घर तक ही सिमटकर रह जाते हैं और शिक्षा की धारा से दूर हो जाते हैं। अगर कोई अभिभावक अपने बच्चे की टीसी प्राप्त करना चाहता है, तो लिखित आवेदन में कारण स्पष्ट कर टीसी प्राप्त कर सकता है।
जानकारी के मुताबिक जिला मुख्यालय से लगे अंबिकापुर ब्लॉक के रामपुर, लोधिमा, सरईटिकरा के कुछ पालकों ने गांव के पंच और जनप्रतिनिधियों के माध्यम से शिकायत की थी कि उनके बच्चों का टीसी जबरन ऐसे प्राथमिक, मिडिल स्कूल और हाईस्कूल में दे दिया गया है, जहां वे अपने बच्चों को पढ़ाना नहीं चाहते हैं। कई बार दूरांचल क्षेत्र के बच्चे सड़क व अन्य सुविधा, साधन के अभाव में अपने रिश्तेदारों के घर में रहकर पढ़ाई करने आ जाते हैं। समय के साथ गांव, क्षेत्र में हालात बदलने के बाद वे अपने घर से पढ़ाई करना चाहें, तो ब्लॉक शिक्षा विभाग के इस नियम के आड़े आने की बात सामने आ रही है। पालक अपने बच्चों का दाखिला अपनी इच्छा अनुसार दूसरे स्कूल में इसलिए नहीं करा पा रहे थे क्योंकि जहां बच्चे प्राथमिक या मिडिल स्कूल की शिक्षा ले रहे थे, उन बच्चों का मिडिल या हाईस्कूल में प्रवेश के लिए टीसी पास के स्कूलों में जमा कर दिया जा रहा था। ऐसे में गांव, घर के करीब के स्कूल में प्रवेश की स्वतंत्रता इन्हें नहीं मिल पा रही थी। जिस छात्र ने मनचाहे स्कूल में दाखिला के लिए टीसी ले भी ली है, तो उन्हें घर के करीब शासकीय स्कूल में प्रवेश के लिए भटकना पड़ रहा था। कुछ पालक, टीसी लेकर गांव के मिडिल स्कूल में प्रधान पाठक से संपर्क किए तो वहां प्रवेश लेने से मना कर दिया गया था। इन्हें कहा गया कि वे उसी स्कूल में जाकर पढ़ें जहां उन्होंने पूर्व में अध्ययन किया है। करीबी स्कूल में प्रवेश के लिए मना करने से इनके बीच पशोपेश की स्थिति बन गई। आरोप लग रहा था कि संबंधित स्कूल के प्रधानपाठक ऊपर के अधिकारियों का आदेश बताकर प्रवेश देने से मना कर रहे हैं। ब्लॉक शिक्षा विभाग के इस फरमान से वे अपने बच्चों को अपने पसंद के नजदीकी स्कूल में नहीं पढ़ा सकते हैं। हालांकि इसकी जानकारी बीईओ को मिली तो उन्होंने स्पष्ट किया कि अगर बच्चा किसी अन्य स्कूल में प्रवेश पाना चाहता है तो उसे प्रवेश दें, ध्यान यह रखें कि कोई बच्चा शालात्यागी न हो।
बयान
बच्चे आगे की पढ़ाई से वंचित न हों, इसलिए ऐसा नियम बनाया गया है, लेकिन वे किसी अन्य स्कूल में प्रवेश नहीं ले सकते, इसकी बाध्यता नहीं है। पालक अपने बच्चों को मनचाहे स्कूल में दाखिल करा सकते हैं, संबंधित स्कूल प्रमुख इन्हें प्रवेश लेने से मना नहीं कर सकते। नियम बनाने का एकमात्र उद्देश्य यह है कि कोई भी बच्चा आगे की पढ़ाई छोड़कर शालात्यागी ना हो, वह सतत शिक्षा से जुड़े रहे। ऐसी जानकारी आप लोगों के माध्यम से संज्ञान में आई है, मैनें सभी प्रधान पाठकों को निर्देश दिया है कि किस भी बच्चे को स्कूल में प्रवेश देने से नहीं रोकना है। साथ ही पढ़ने वाला बच्चा शालात्यागी न हो, इसका ध्यान रखना है। अभिभावक अपने बच्चे को नियमित विद्यालय भेजें, इसके लिए प्रेरित करना है।
गोपाल दुबे, विकासखंड शिक्षा अधिकारी अंबिकापुर