35 वर्षों से मुआवजा के लिए दर-दर भटक रहे ग्रामीण
संभागायुक्त के नाम एसडीएम को सौंपा ज्ञापन
अंबिकापुर/लखनपुर। सरकार के द्वारा करोड़ों रुपये खर्च करके गांव में बांध और नहर का निर्माण किया जाता है, ताकि किसानों को खेती के लिए बेहतर सिंचाई व्यवस्था मिल सके। परंतु सरगुजा जिले के लखनपुर विकासखंड अंतर्गत ग्राम लोसगा में जल संसाधन विभाग की अनदेखी के चलते किसान सिंचाई से वंचित हैं, नहर से सिंचाई हेतु पानी उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। जल संसाधन विभाग के द्वारा करोड़ों रुपये की लागत से बांध और नहर का जहां निर्माण कराया गया है, उसके लिए किसानों का भूमि भी अधिग्रहण किया है। किसान मुआवजा पाने के लिए 35 वर्षों से दर-दर भटकने मजबूर हैं। मुआवजा प्राप्ति के लिए कार्यालय का चक्कर काटते वे हार चुके हैं।
शासन-सत्ता बदला, फिर भी नहीं मिला मुआवजा
शासन बदला, सत्ता बदला, जिला में कई अधिकारी आए परंतु आज तक भूमि स्वामियों को मुआवजा नहीं मिल पाया है, इसे लेकर किसानों में आक्रोश है। ऐसे में 11 जून को किसानों ने संभाग आयुक्त जीआर चुरेंद्र के नाम अनुविभागीय अधिकारी राजस्व उदयपुर को ज्ञापन सौंपा और मुआवजा दिलाने की मांग की है। ज्ञापन में उल्लेख है कि कार्यपालन अभियंता जल संसाधन संभाग 01 अंबिकापुर सरगुजा द्वारा लोसंगा के डुबान एवं नहर क्षेत्र हेतु राजस्व निरीक्षक मंडल कुन्नी तहसील लखनपुर जिला सरगुजा के निजी भू स्वामियों की कुल रकबा 9.929 हेक्टेयर अर्जन हेतु प्रस्ताव कलेक्टर को प्रस्तुत किया था। उक्त ग्राम में कुल 59 भू स्वामियों के कुल खसरा 80 कुल रकबा 8.540 हेक्टेयर के संबंध में अधिनियम की धारा 11 के तहत प्रारंभिक अधिसूचना का प्रकाशन कराया गया। अधिसूचना का प्रकाशन छत्तीसगढ़ राजपत्र भाग 01 के पृष्ठ क्रमांक 759 पर दिनांक 10/9/2021 को हुआ। शासन द्वारा भू स्वामियों को मुआवजा हेतु 15/9/2023 को आवर्ड पारित किया गया। उक्त जलाशय और नहर बनाने के लिए गरीब आदिवासी की कृषि भूमि शासन द्वारा सन 1989-90 में अधिग्रहित किया गया था, शासन द्वारा 35 वर्षों तक अधिग्रहित भूमि का मुआवजा कृषकों को प्रदाय नहीं किया गया है। सन 1989-90 और आज की स्थिति में कृषि का मूल्यांकन में काफी अंतर है। विभागीय उदासीनता व लापरवाही के कारण गरीब आदिवासी कृषक साढ़े तीन दशक से मुआवजा से वंचित हैं, कई कृषकों की मृत्यु हो गई है। आदिवासियों के कृषि भूमि का शासकीय प्रयोजन के लिए अधिग्रहित कर मुआवजा प्रदान नहीं करना मानव अधिकार का हनन है। मुआवजा हेतु त्वरित कार्रवाई करते हुए एक माह के भीतर नियमानुसार आवश्यक कार्रवाई करने की मांग की गई है।