बिश्रामपुर। प्रशासनिक त्रुटि की वजह पिछले तीन त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में दो पंचायत के कई वार्ड के लोग जनप्रतिनिधि विहीन हैं। साथ ही सरपंच पद पर एक दो परिवार की महिलाओं द्वारा पंचायत को संचालित किया जा रहा है। ग्रामीणों द्वारा मुख्यमंत्री सहित कलेक्टर को ज्ञापन देकर जनसंख्या के आधार पर सरपंच व वार्ड पंच पद हेतु आरक्षण प्रक्रिया लागू किए जाने की मांग की गई है। दर असल सुरजपुर ब्लाक अंतर्गत ग्राम पंचायत रविंद्रनगर व संजयनगर में बंग समाज बाहुल्य क्षेत्र है। ऐसी स्थिति में यहां पर सरपंच पद के अलावे कई वार्डों का आरक्षण आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित कर दिए जाने की वजह से कई वार्ड के लोग वर्षों बाद भी वार्ड पंच के अभाव में हैं। ऐसी स्थिति में पंचविहीन वार्डों में विकास कार्य भी काफी प्रभावित होता है और लोगों को अपने मूलभूत सुविधाओं के लिए बेवजह भटकने मजबूर होना पड़ जाता है। ग्रामीणों ने बताया कि ग्राम पंचायत रविंद्रनगर व संजयनगर में सरपंच पद भी आदिवासी वर्ग हेतु आरक्षित होने की वजह से उम्मीदार भी नहीं मिल पाते हैं। कलेक्टर को दिए ज्ञापन में ग्रामीणों द्वारा उल्लेख किया गया है कि ग्राम पंचायत रविन्द्रनगर एवं संजयनगर में 98 प्रतिशत लोग बंग समाज के हैं, जो सामान्य वर्ग से आते हैं। उक्त दोनों पंचागत में सरपंच महिला आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित है।

दोनों पंचायत में आदिवासी वर्ग नगन्य हैं एवं सरपंच पद आरक्षित होने पर बंगाली समाज के युवा आदिवासी संगनी के लिए प्रेरित हो रहे हैं, जो बंगाली समाज में गलत प्रभाव डाल रहा है। वर्तमान में सरपंच इन्ही में से हैं। वार्ड पंचों के सीट भी इसी आधार पर आरक्षित हैं लेकिन उक्त वार्ड में आदिवासी न होने के कारण दो तीन त्रिस्तरीय पंचायत राज व्यवस्था से उन वार्डों में पंच नहीं बन पा रहे हैं, जिससे कई वार्ड विकास प्रक्रिया से बाहर हो रहे हैं। आदिवासी सरपंच पद होने के कारण दोनों ग्राम में चंद परिवार का राज है एवं परिवारवाद को प्रोत्साहन मिल रहा है। किसी प्रकार का चुनाव प्रति स्पर्धा नहीं दिखाई नहीं दे रहा है, जबकि सामान्य वर्ग के लोग केवल मतदाता ही बनकर रह गए हैं। आरक्षण की त्रुटि सुधार हेतु ग्रामवासी लंबे अरसे से प्रयास कर रहे हैं। बावजूद इसके लोगों की उक्त गंभीर समस्या का निराकरण नहीं होने से आमजन में मायूसी देखने को मिल रही है। ग्रामीणों ने बताया कि कई पंचवर्षीय बीत जाने के बाद भी व्यवस्था में कोई सुधार नहीं होने की वजह से कई वार्डों के लोगों को अपनी छोटी छोटी आवश्यकताओं के लिए बेवजह परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि रविंद्रनगर पंचायत में दो बंग परिवार द्वारा अंतर्जातीय विवाह करने की वजह से उक्त दोनों परिवार की ही आदिवासी महिलाओं को बदल-बदल कर सरपंच पद की जिम्मेदारी सौंपने विवश होना पड़ता है। ग्रामीणों का कहना है कि यदि शासन-प्रशासन द्वारा अपनी त्रुटि में इस बार पंचायत चुनाव से पहले आरक्षण प्रक्रिया में सुधार नहीं किया गया तो मजबूर होकर लोगों को चुनाव बहिष्कार जैसे कदम उठाने विवश होना पड़ जाएगा। 

मुख्यमंत्री तक गुहार

ग्राम पंचायत रविंद्रनगर के लोग पंचायती राज व्यवस्था में आरक्षण को लेकर किए जा रहे त्रुटि के सुधार हेतु वर्षों पूर्व तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह व तत्कालीन पंचायत मंत्री से मुलाकात करके व्यवस्था में सुधार हेतु गुहार लगा चुके हैं। इसके बाद भी आज तक आरक्षण व्यवस्था की त्रुटि का सुधार आज तक नहीं हो सका है। ग्रामीणों ने बताया कि ज्ञापन देने पश्चात केवल कोरमपूर्ती की कार्यवाही विभागीय अधिकारियों द्वारा करके अपनी जिम्मेदारी से इतिश्री कर ली जाती है। 

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