EVM यानी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन तोड़ने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने YSRCP विधायक को मिली अंतरिम सुरक्षा पर सवाल उठाए हैं। शीर्ष न्यायालय ने आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के इस फैसले को ‘सिस्टम के साथ भद्दा मजाक’ करार दिया है। इस दौरान उदालत ने खासतौर से वीडियो सबूत का भी जिक्र किया। जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस संदीप मेहता की वेकेशन बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही थी।

सुप्रीम कोर्ट युवजन श्रमिक रायथू कांग्रेस पार्टी विधायक पिन्नेली रामाकृष्ण रेड्डी के मामले में सुनवाई कर रही थी। कोर्ट ने उच्च न्यायालय के आदेश को भी गैरजरूरी बताया है। बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, अदालत ने कहा, ‘यह सिस्टम के साथ मजाक है। अंतरिम सुरक्षा देना बहुत ही गलत है। इसकी जरूरत आखिर क्या थी?’

विधायक रेड्डी पर मतदान केंद्र में जाकर ईवीएम तोड़ने के आरोप हैं। माचेर्ला विधानसभा क्षेत्र से सत्तारूढ़ वाईएसआरसीपी के उम्मीदवार रेड्डी अपने समर्थकों के साथ कथित तौर पर मतदान केंद्र में घुसे और वीवीपैट व ईवीएम मशीनों को तोड़ दिया। उच्च न्यायालय ने 28 मई को रेड्डी को कुछ शर्तों के साथ अग्रिम जमानत दे दी थी।

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में तेलुगू देशम पार्टी के पोलिंग एजेंट की तरफ से दाखिल दो याचिकाओं पर सुनवाई हुई थी। पहली याचिका में उच्च न्यायालय के आदेश को रद्द करने की मांग की गई थी। वहीं, दूसरी याचिका के जरिए यह बताया गया था कि वीडियो सबूत होने के बाद भी पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। सुनवाई के दौरान जस्टिस मेहता ने कहा कि वीडियो सबूत खुद ही सब बता रहा है।

उन्होंने कहा, ‘जमानत का सवाल ही कहां है? अगर हम इसपर रोक नहीं लगाते हैं, तो यह न्याय व्यवस्था के साथ बड़ा मजाक होगा।’ अदालत ने रेड्डी के चार जून को माचेर्ला विधानसभा क्षेत्र के मतगणना केंद्र में प्रवेश पर सोमवार को प्रतिबंध लगा दिया। न्यायालय ने आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय से कहा कि अदालत रेड्डी के खिलाफ छह जून को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध मामलों से संबंधित याचिका पर बिना किसी संकोच के निर्णय ले।
(एजेंसी इनपुट के साथ)

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